Yu Mujhme Reh Jana Tum
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अपनी इस काव्य कृति में मैंने प्रेम के विभिन्न पहलुओं को एक नया जीवन देने का प्रयास किया है। बचपन जीवन का वह पहलू है जिसे हर कोई वापस जीना चाहता है इस किताब के माध्यम से मैं यह बताना चाहती हूं कि कुछ समय के लिए ही लेकिन बचपन हमें दोबारा मिलता है और यह समय होता है जब हम किसी से सच्चा प्रेम करने लगते हैं। फूल बादल तितलियां बारिश फिर से अच्छे लगने लगते हैं। प्रेम में होने पर हमारा मन उतना ही निश्चल और पवित्र होता है जितना कि किसी बच्चे का होता है। जब ईश्वर हमारी आत्मा को सुंदर बनाना चाहता है, हमें जीना सिखाना चाहता है और बताता है कि जीवन कितना सुंदर होता है तब हमें प्रेम होता है प्रेम में यादों के दीप मन और जीवन को अनंत काल तक प्रकाशित करते हैं और हमें अंदर से जीवित रखते हैं। प्रेम कविताओं में सदैव के लिए अमर हो जाता है अतः मैं अपनी यह काव्य कृति अपने परम पूज्य दादाजी श्री ज्वाला तिवारी को समर्पित करती हूं जो सदैव मेरी प्रेरणा रहे है और पथ प्रदर्शक बनकर सदैव मेरा मार्गदर्शन करते रहे हैं।
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