Dristh Path ka Buddhanchal

270.00

दृष्टिपन्थ का बुद्धांचल नामक यह पुस्तक अपने आप में विशिष्ट है। यह बौद्ध-धर्म विस्तार की भूमि पर इतिहासकार के विहंगम दृष्टिपात का द्योतन करते हुए उसके प्रभाव विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, और सत्याकांक्षी अध्येता के लिए इसकी सुलभता निश्चित रूप से इस धर्म के प्रति प्रदूषित-मनोभावों को उत्पाटित करने में अपनी अहम भूमिका निभायेगी। जो इसके प्रति लेखक की अदूरदर्शिता और उसके गहन अध्ययन का परिणाम तो है ही साथ ही साथ निष्पक्ष विश्लेषण का एक विशद् ऐतिहासिक प्राक्कलन भी है अन्यथा इसके अभाव में इसके मूल्यांकन की प्रक्रिया सम्भवतः अपूर्ण रह जाती और समग्र एवं निष्पक्ष मानवीय मूल के विकास में उसके सम्पन्नता का अनुमान नहीं हो पाता, जो कर्णिका कहना चाहती है।

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