Do Boond Khoon

Rated 5.00 out of 5 based on 3 customer ratings
(3 customer reviews)

200.00

कवि ने इस काव्य-संग्रह में बारी की उस दमित व्यथा को शब्द देने का कार्य किया है जिसे बारी परिस्थितियों के वशीभूत कभी व्यक्त नहीं कर पाती है। जब उसका दर्द असा होता है तब उसका दर्द अश्रु-धारा के रूप में वह निकलता है। बारी जब अपनी व्यथा को शब्द नहीं दे पाती है तो वह उसे आंसू के जरिए व्यक्त करती है। इस पुस्तक में संकलित 51 कविताओं के जरिए बारी द्वारा सहे गए पीड़ा के विभिन्न आयामों और रूप को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

Category:

3 reviews for Do Boond Khoon

  1. Rated 5 out of 5

    Ranudaya Kumar

    शानदार रचना

  2. Rated 5 out of 5

    Ajit Kumar

    Loved it

  3. Rated 5 out of 5

    Sudarshan sahu

    Very good and. Best

Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Live Chat!