Metcalf House l 1835 की एक साज़िश, एक मोहब्बत और एक कत्ल की दास्तान
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वजीर ने अपनी हवेली की खामोश दीवारों को ताकना शुरू किया। उसकी आंखों में अब सिर्फ लाज की चमक नहीं थी-एक चिंगारी भी सुलग रही थी। वो चिंगारी, जो मास्टर्न की यादों, बच्चों की जुदाई, और विलियम फ्रेजर की बेरुखी से भड़की थी। क्या ये महफिल सिर्फ शायरों की ग़ज़लों और रईसों की दाद का मंच थी? या फिर वो बिसात, जहां वजीर का शोला किसी साज़िश की शक्ल लेने वाला था? देहली की हवाएं इस सवाल को आवाज दे रही थीं। इसी उपन्यास से सन् 1835 की दिल्ली में सियासत, फरेब और मोहब्बत की एक ऐसी कहानी बुनी गई, जिसने इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। विलियम फ्रेनर, फिरोजपुर झिरका की रियासत और वज़ीर बेगम का दीवाना, सत्ता और हवस के जाल में फँस गया। नवाब शम्सुद्दीन को हटाने की उसकी साजिशें एक दिन उसकी मौत पर आकर खत्म हो गईं। फ्रेजर की हत्या ने दिल्ली में हलचल मचा दी। इस सियासी खेल में मिर्ज़ा ग़ालिब की चिट्ठियाँ, मुखबिर अनिया मेयो का फरेब और वज़ीर बेगम की रहस्यमयी भूमिका, सबने मिलकर एक ऐसी कहानी रच दी, नो आन भी सवालों में उलझी है।
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