Bandi Vilap

(3 customer reviews)

199.00

‘बंदी विलाप’ कारा में बिताए अवधि के दौरान मन में उठने वाले विचारों का काव्यात्मक संग्रह है। इसमें अकेलेपन की कुंठा, ‘बच्चों व मित्रों से मिलने की छटपटाहट’ ‘सत्ता की हनक’, ‘व्यवस्था की विसंगति’, ‘व्यक्तिगत लाचारी’ जैसे भाव की कविताएँ तो मिलेंगी ही साथ ही उस जिजीविषा की भी झलक मिलेगी, जो कभी हार नही मानता, सीधा खड़ा रहता है प्रबल झंझावातों के समक्ष । सुधीजनों व मित्रों से प्यार, स्नेह एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता व अपेक्षा है।

Category:

3 reviews for Bandi Vilap

  1. Vaibhav

    Very expressive and touches inner core of the heart…

  2. MAHESH PURBEY

    Superb quality and excellent

  3. Seema kulkarni

    I love this book because real story

Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Live Chat!