Apna Vichaar Aapka Chunaav

225.00

मैं विश्वजीत चाहता हूँ की हमारे समाज में जो हर घर, हर चौक-चौराहे पर बिना बात के बात या कहें की बहस हो रही होती है, राजनीति पर चर्चा हो रही होती है, या बेवजह किसी की बड़ाई या शिकायत या चापलूसी हो रहा होता है, उसके स्थान पर हमें कुछ तार्किक विश्लेषण देखने को मिले। ज्ञान आधारित बाते हों, सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियाँ हों, जागरूकता की बातें हो, सिर्फ सिद्धांतवादी ही नहीं बल्कि व्यवहारिक शिक्षा हो और हर व्यक्ति का इस पर अधिकार हो। कभी किसी को जलील ना होना पड़े, किसी का मज़ाक़ ना बनाया जाय वरण उसे सही चीज़ सिखाया जाय।

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