Fakr Karun Ya Fikr

149.00

फक्र करूं या फिक्र पुस्तक लेखक संतोष शर्मा द्वारा प्रथम प्रयास है अपनी कहानियों को एक पुस्तक का रूप देने का। इस पुस्तक में समाहित कहानियां अधिकतम व्यंगात्मक हैं और लेखक ने व्यंग के माध्यम से आम जिंदगी के परिदृश्यों को समन्वित किया है। व्यंग आम जीवन से ही निकलता है जैसे बच्चों द्वारा बड़ों के चरण स्पर्श, एक फक्र का विषय है परंतु फिक्र का उस समय बन जाता है जब बच्चे अपने से बड़ों के हवा में चरण स्पर्श कर चलते बनते हैं। पुस्तक में लेखक ने समाज में बदलाव को व्यंग के रूप में परोसा है कहानियों के माध्यम से जो बहुत कुछ पाठक को सोचने पर विवश कर देंगी।

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